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मेरा गीत -सुभद्रा कुमारी चौहान

 मेरा गीत -सुभद्रा कुमारी चौहान 



जब अंतस्तल रोता है,

कैसे कुछ तुम्हें सुनाऊँ?

इन टूटे से तारों पर,

मैं कौन तराना गाऊँ??


सुन लो संगीत सलोने,

मेरे हिय की धड़कन में।

 कितना मधु-मिश्रित रस है,

देखो मेरी तड़पन में॥


 यदि एक बार सुन लोगे,

तुम मेरा करुण तराना।

 हे रसिक! सुनोगे कैसे?

फिर और किसी का गाना॥

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