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हम और सड़के.....केदारनाथ अग्रवाल.....hindi poem

                                           हम और सड़के.....केदारनाथ अग्रवाल.....hindi poem

 सूर्योदय की सड़कें,
जिन पर चलें हम
तमाम दिन सिर और सीना ताने,
महाकाश को भी वशवर्ती बनाने,
 भूमि का दायित्व
 उत्क्रांति से निभाने,
और हम
 अब रात मे समा गये,
स्वप्न की देख-रेख में
सुबह की खोयी सड़कों का
जी-जान से पता लगाने

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