मेरे पथिक -सुभद्रा कुमारी चौहान हठीले मेरे भोले पथिक! किधर जाते हो आकस्मात। अरे क्षण भर रुक जाओ यहाँ, सोच तो लो आगे की बात॥ यहाँ के घात और प्रतिघ…
और पढ़ेंमेरा गीत -सुभद्रा कुमारी चौहान जब अंतस्तल रोता है, कैसे कुछ तुम्हें सुनाऊँ? इन टूटे से तारों पर, मैं कौन तराना गाऊँ?? सुन लो संगीत सलोने, मेरे हिय …
और पढ़ेंमुरझाया फूल -सुभद्रा कुमारी चौहान यह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत। स्वयं बिखरने वाली इसकी पंखड़ियाँ बिखराना मत॥ गुजरो अगर पास से इसके …
और पढ़ेंभ्रम -सुभद्रा कुमारी चौहान देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था। देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था॥ देवता थे, देखते ही बन गई थी भक्त मैं। ह…
और पढ़ेंमेरी टेक -सुभद्रा कुमारी चौहान निर्धन हों धनवान, परिश्रम उनका धन हो। निर्बल हों बलवान, सत्यमय उनका मन हो॥ हों स्वाधीन ग़ुलाम, हृदय में अपनापन हो।…
और पढ़ेंफूल के प्रति -सुभद्रा कुमारी चौहान डाल पर के मुरझाए फूल! हृदय में मत कर वृथा गुमान। नहीं है सुमन कुंज में अभी इसी से है तेरा सम्मान॥ मधुप जो करत…
और पढ़ेंजलियाँवाला बाग में बसंत -सुभद्रा कुमारी चौहान यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। कलियाँ भी अधखिली, मिली है…
और पढ़ेंसमर्पण -सुभद्रा कुमारी चौहान सूखी सी अधखिली कली है परिमल नहीं, पराग नहीं। किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन का है इन पर दाग़ नहीं॥ तेरी अतुल कृपा का …
और पढ़ेंस्वदेश के प्रति -सुभद्रा कुमारी चौहान आ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ, स्वागत करती हूँ तेरा। तुझे देखकर आज हो रहा, दूना प्रमुदित मन मेरा॥ …
और पढ़ेंहम और सड़के.....केदारनाथ अग्रवाल.....hindi poem सूर्योदय की सड़कें, जिन पर चलें हम तमाम दिन सिर और स…
और पढ़ेंसिक्के की औक़ात एक बार बरखुरदार! एक रुपए के सिक्के, और पाँच पैसे के सिक्के में, लड़ाई हो गई, पर्स के अंदर हाथापाई हो गई। जब पाँच का सिक्क…
और पढ़ेंमैं नीर भरी दुख की बदली! स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा क्रन्दन में आहत विश्व हँसा नयनों में दीपक से जलते, पलकों में निर्झारिणी मचली!…
और पढ़ेंमेरे बच्चे, मेरे प्यारे मेरे बच्चे, मेरे प्यारे, तू मेरे जिस्म पर उगा हुआ इक प्यारा सा नन्हा फूल... क्या है तेरा मुझसे रिश्ता? बस....एक…
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