Ticker

6/recent/ticker-posts

आँखों से अलख जगाने को- जयशंकर प्रसाद... Hindi poem famous poem

 आँखों से अलख जगाने को- जयशंकर प्रसाद


आँखों से अलख जगाने को,

 यह आज भैरवी आई है .

उषा-सी आँखों में कितनी,

 मादकता भरी ललाई है .

कहता दिगन्त से मलय पवन

 प्राची की लाज भरी चितवन-

है रात घूम आई मधुबन ,

 यह आलस की अंगराई है .

लहरों में यह क्रीड़ा-चंचल,

 सागर का उद्वेलित अंचल .

है पोंछ रहा आँखें छलछल,

 किसने यह चोट लगाई है ?

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ